उज्जैन, आज देश में जिस प्रकार एक वैश्विक बीमारी कोरोना वायरस फैल रहा है। ऐसी बीमारी के चलते जब किसी को अपने घर से निकलना नहीं है आना जाना नहीं है, कोई बाहर ना निकले ऐसा जन जागरण आवश्यक है। इसके परिपालन के साथ कुछ चुनौतियां भी सामने आई है, जिसे स्वयंसेवकों तथा सेवा भारती द्वारा बस्ती में सीधा संवाद कर समाज के सहयोग व प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए हल किया जा रहा है।
हर जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा पॉवर सेंटर बनाए गए हैं, जिसमें हेल्प लाइन नंबर जारी किए हैं। उस नंबर पर सूचना आते ही संघ का तंत्र एक्टिव हो जाता है। इस चुनौती को समाप्त करने का प्रयास करता है।
ऐसे ही पूरे मालवा प्रांत के सभी 32 जिलों में ये व्यवस्था नियमित चल रही है। इसी व्यवस्था के अंतर्गत समाज के उस वर्ग तक भोजन पहुंचाना जो ऐसे समय भोजन की व्यवस्था परिवार के लिए नहीं कर पा रहे हैं। कई बस्तियों में 15 दिन के लिए परिवार को कार्यकर्ताओं ने ही गोद ले लिया है।
जो विद्यार्थी हॉस्टल अथवा गेस्ट हाउस में फंसे हैं, उनकी व्यवस्था भी स्वयंसेवक कर रहे हैं। मालवा प्रांत (इंदौर और उज्जैन संभाग) में संघ के स्वयंसेवक 'सभी घर पर ही रहें इसके लिए सभी जिलों में प्रयास कर रहे हैं। किसी परिवार में दवाई की आवश्यकता हो या अस्वस्थता हो तो भी उस समय पूर्ण रूप से उनको हर चिकित्सीय सुविधा प्रदान कराई जा रही है।
समाचार पत्रों या सोशल मीडिया के माध्यम से भी कोई भी चुनौती की जानकारी प्राप्त हो रही है तो संघ के स्वयंसेवक प्रशासन द्वारा दी गई गाइड लाइन को समाज तक उतारने का प्रयास कर रहा है।
अनेक स्थानों पर स्वयसेवकों के माध्यम से मास्क और सेनेटाइजर की भी परिवार तक व्यवस्था कराई का रही है। संघ के स्वयंसेवकों का हर गांव व मोहल्ले तक फैला नेटवर्क इस संकट की घड़ी में समाज के साथ खड़ा है।
उज्जैन में संघ के 6 नगरों को आधार बनाकर सेवा कार्य किया जा रहा है। प्रत्येक नगर में कार्यकर्ताओं की टोली का निर्माण किया गया है जो सूचना मिलते ही नीचे बस्ती और मोहल्लों की टोलियों के माध्यम से तुरंत समाज की सहायता कर रही है। सहायता हेतु उसी बस्ती और मोहल्ले के कार्यकर्ताओं को भेजा जा रहा है जिससे किसी को भी ज्यादा दूरी तक नही जाना पड़े।
प्रारंभिक दिनों में लगभग 1200 परिवारों तक भोजन, दूध, ब्रेड, पाव आदि पहुँचाया गया परन्तु बाद में इसमें परिवर्तन कर के सूखी निर्माण सामग्री का एक पैकेट तैयार कर वितरण किया जा रहा है जिसमें 5 किलो आटा, 1 किलो दाल, 1 किलो चावल, 500 ग्राम तेल, नमक, मिर्ची, धनिया, मसाला सामग्री का एक पैकेट शामिल हैं।
समाज द्वारा इस हेतु पूरा सहयोग किया जा रहा है। उज्जैन में अभी तक 11500 मास्क का निर्माण कर वितरण किया गया है। ट्रैक्टर और टैंकर के माध्यम से सैनिटाइजर /दवाई का छिड़काव भी स्वयंसेवकों द्वारा किया जा रहा है। किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय मदद की आवश्यकता होने पर स्वयंसेवक तुरंत सहायता कर रहे हैं और अस्पतालों में मरीजों के परिजनों को भी आवश्यकतानुसार मदद प्रदान की जा रही है।
सेवा बस्तियों में रहने वाले बंधु-भगिनी हो, प्रतिदिन मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करने वाले परिवार हो, शहर में रहने वाले घुमक्कड़ जाति के परिवार हो, लॉक-डाउन के कारण शहर में कोई बाहरी व्यक्ति फंस गया हो, पढ़ाई के लिए आये छात्र जिन्हें टिफिन बंद हो जाने के कारण परेशानी हो रही है आदि-आदि सभी प्रकार के लोगों की पहचान कर उन तक उन्हीं बस्ती/मोहल्लों में रहने वाले स्वयंसेवकों के माध्यम से मदद पहुँचाई जा रही है।
लॉक डाउन की लंबी अवधि को ध्यान में रखते हुए समाज का इस हेतु मन बनाते हुए प्रशासन के सभी नियमों का पालन करने हेतु समाज जागरण के कार्य मे सभी स्वयंसेवक निरंतर अपना योगदान दे रहे हैं।