संपूर्ण भारत में भक्ति आन्दोलन का नेतृत्व किया था रविदास जी ने

उज्जैन , बाबा महाकाल की पावन नगरी मे सामाजिक न्याय परिसर के भव्यपंडाल आगर रोड पर चल रही संत रविदास महाराजजी की सात दिवसीय कथा के दूसरे दिन संत रविदास जी की जन्म गाथा का वर्णन किया गया। जिसके अंतर्गत उत्तराखंड के हरिद्वार से पधारे श्री सागर आनंद जी महाराज ने कथा के दौरान भक्तों को बताया कि,


संत शिरोमणि रविदासजी का जन्म राजा सूर्यसेन की १६९वीं पीढ़ी में जन्मे राजा चंवरसेन की ३९वीं पीढ़ी में श्री भक्तराज राहूजी के घर विक्रम संवत् १४३३ में वाराणसी काशी में माघ पूर्णिमा, रविवार के दिन हुआ था।


महाराज ने आगे बताया कि गुरु रविदासजी 15-16वीं शताब्दी में एक महान संत, दार्शनिक, कवि, समाज सुधारक और भारत में भगवान के अनुयायी हुआ करते थे। निर्गुण सम्प्रदाय के ये बहुत प्रसिद्ध संत थे, जिन्होंने संपूर्ण भारत में भक्ति आन्दोलन का नेतृत्व किया था।


रविदास जी बहुत अच्छे कवितज्ञ थे। इन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से, अपने अनुयायियों, समाज एवं देश के सभी लोगों को धार्मिक एवं सामाजिक सन्देश दिया। रविदास जी की रचनाओं में भगवान् के प्रति प्रेम की झलक साफ़ दिखाई देती थी। वे अपनी रचनाओं के द्वारा दूसरों को भी परमेश्वर से प्रेम के बारे में बताते थे और उनसे जुड़ने के लिए कहते थे। आम लोग उन्हें भगवान मानते थे, क्योंकि उन्होंने सामाजिक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़े-बड़े कार्य किये थे।


लोग इन्हें भगवान् की तरह पूजते हैं, क्योंकि रविदास जी महाराज ने कहा था कि ऐसा चाहूँ मैं राज, जहाँ मिले सबन को अन्न, छोटे-बड़े सब सम बसे, रविदास रहे प्रसन्न। १४ फरवरी को कथा के तीसरे दिन संत शिरोमणिजी के बाल्यकाल के बारे में वर्णन किया जाएगा। यह जानकारी मीडिया प्रभारी राम चौहान ने दी।