राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित होकर भाजपा विधायक बहादुर सिंह चौहान द्वारा कांग्रेस नेता दिनेश जैन बॉस के विरुद्ध जो अवैध उत्खनन का प्रकरण बनवाया गया था उक्त प्रकरण को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निरस्त किया गया है।
प्रेस क्लब पर आयोजित पत्रकार वार्ता में महिदपुर निवासी दिनेश जैन बॉस ने बताया कि भाजपा विधायक बहादुर सिंह चौहान ने एक झूठी शिकायत मेरे विरुद्ध खनिज अधिकारी व कलेक्टर जिला उज्जैन को की गई थी जिसमें अवैध उत्खनन का पंचनामा बनवाया और उसमें यह उल्लेखित किया गया कि मैंने स्वीकृत क्षेत्र से अधिक पर उत्खनन कार्य लगभग 31 करोड़ रुपए(₹310000000 )की राशि का नुकसान शासन को पहुंचाया है। यह पंचनामा खनिज अधिकारी जिला उज्जैन महिदपुर व अन्य के द्वारा तैयार किया गया था।
सूचना पत्र मिलने पर जवाब में मेरी ओर से यह जवाब दिया गया कि स्वीकृत क्षेत्र में ही मेरे द्वारा उत्खनन का कार्य किया गया है क्योंकि मेरे पास शासकीय पट्टा है जो पट्टा सन 2020 तक वैध है। किसी साक्षी या खनिज अधिकारी के कथन से भी प्रकरण प्रमाणित नहीं हो रहा था, इसके बावजूद भी अनुविभागीय अधिकारी महिदपुर ने यह र्आपत्ति होते हुए भी कि जो अनुविभागीय अधिकारी पंचनामा में थे उन्हीं के द्वारा प्रकरण का वीचारण किया गया और अवैध उत्खनन को किसी भी साक्षी ने प्रमाणित नहीं किया है इसके बावजूद भी विधानसभा में विधायक बहादुर सिंह चौहान के द्वारा प्रश्न लगा देने से सत्ताधारी दल के विधायक होने के दबाव प्रभाव में अवैध उत्खनन का 32 करोड़ रूपये का उत्तरदाई ठहराया।
अपर आयुक्त संभाग उज्जैन ने भी निष्पक्ष रुप से आदेश न देते हुए राजनीतिक दबाव में आदेश पारित किया और राजस्व मंडल ग्वालियर ने भी नियत तारीख पेशी के पूर्व प्रकरण में सुनवाई करते हुए अनुविभागीय अधिकारी के आदेश को स्थिर रखा।
जिसके विरुद्ध मेरे द्वारा माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत की गई थी और उक्त रिट याचिका प्रस्तुत की गई थी।
उक्त रिट याचिका में माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा की गई संपूर्ण कार्यवाही को स्पष्ट संवैधानिक ठहराया था। परंतु 20% की राशि जमा करने का आदेश स्थगन के संबंध में जो दिया गया था उसे स्थिर रखा था जिसके विरुद्ध माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने s.l.p. प्रस्तुत की गई थी और दिनांक 30 -11-19 को माननीय उच्च न्यायालय ने माननीय उच्च न्यायालय के 20% राशि जमा करने के आदेश को भी निरस्त कर दिया है।
इससे स्पष्ट है कि राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से जो कार्रवाई विधायक के द्वारा प्रशासन का दुरुपयोग करते हुए करवाई गई थी । व अवैधानिक रूप से संपत्ति कुर्की की कार्रवाई भी गई थी वह सब निरस्त हो चुकी है और मैं अवैधानिक कार्रवाई से मुक्त हो चुका हूं ।
सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं