चमत्कार के पीछे विज्ञान है, कोई जादू नहीं।

आमतौर पर झाड़-फूंक करने वाले लोग गांव की भोलीभाली जनता को ठगने का काम करते हैं। छोटे-छोटे तथाकथित चमत्कार जिनमें पीलिया झाड़ने पर पानी का रंग पीला हो जाना, फोटो से भभूत गिरना, नींबू काटने पर खून का निकलना, अदृश्य रूप से लिखे हुए अक्षरों का गुलाबी रंग में उभरना, मंत्र शक्ति से आग उत्पन्न करना और मंत्र शक्ति से ही पानी में आग लगाना जैसे करतब दिखाकर जनता को गुमराह किया जाता है।


इस तरह के कृत्य से भोलीभाली जनता अंधविश्वास की ओर प्रेरित होती है। शिक्षा विभाग की ओर से उज्जैन जिले में विगत दिनों ऐसे ही लोक-लुभावन चमत्कारों की असलियत उजागर करने के लिये स्कूल शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया।


शिक्षकों द्वारा छात्रों को न केवल समझाईश दी गई, बल्कि ऐसे चमत्कार करके दिखाये भी गये। छात्रों को बताया गया कि इन सबके पीछे विज्ञान है, कोई जादू नहीं।
 कुछ प्रमुख जादू और उनके पीछे छुपे हुए विज्ञान के बारे में उज्जैन जिले की शिक्षा अधिकारी सुश्री रमा नाहटे एवं सहायक सहायक परियोजना समन्वयक श्री गिरीश तिवारी ने विभिन्न स्कूलों में जाकर बच्चों को जानकारी दी एवं प्रतियोगिताएं आयोजित करवा कर छात्रों का ज्ञानवर्द्धन किया गया।


विभिन्न जादूओं के बारे में छात्रों को बताया गया कि अतिथियों का चमत्कारित तरीके से स्वागत करने के लिये अक्षरों को गुलाबी रंग में उकेरना एक रासायनिक क्रिया है। फिनाफ्थलीन एक रंगहीन सूचक है जो सोडियम हाइड्रोऑक्साइड (कास्टिक सोड़ा) से क्रिया करके फिनाफ्थिलीन डाइसोडियम बनाता है, जिससे रंग गुलाबी हो जाता है।


कागज पर फिनाफ्थलीन से अक्षर लिखने पर वे दिखाई नहीं देते हैं, किन्तु जैसे ही कास्टिक के घोल में उस कागज को डुबाया जाता है, अक्षर गुलाबी रंग में उभर आते हैं।


कई ढोंगी बाबा कागज के टुकड़े लेकर फिनाफ्थलीन में डुबोकर सूखाकर रख लेते हैं। लोगों के घरों में जाकर वे किसी व्यक्ति से पानीभरा पात्र मंगवाते हैं और उसमें नजर बचाकर कास्टिक सोड़ा के टुकड़े डाल देते हैं। कागज के टुकड़े पर पूर्व में लिखी हुई भविष्यवाणी, मंत्र आदि पानी में डुबोने पर गुलाबी रंग के होकर उभर आते हैं।