योग को मजाक बनाता शासन का एक आदेश

जी हां, दोस्तो सच पढा आपने योग को मजाक बनाता शासन का एक आदेश आप सोचिये जिसने जीवन मे कभी योग नही किया हो ,न योग के विषय का एक शब्द भी उसे ज्ञात हो । ऐसे किसी व्यक्ति की नियुक्ति योग ट्रेनर के रूप में कर दी जाए तो परिणाम कितना भयाभय होगा। इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है । योग जितना आसान दिखता है उतना आसान होता नही है । यदि एक भी गलत आसान कर लिया जाए तो शरीर मे जीवन भर के लिए असहनीय दर्द उतपन्न हो जाता है । किसी मरीज के लिए गलत योग जानलेवा भी हो सकता है । योगा इंजरी का बहुत बड़ा कारण यही गलत तरीके से किये गए योग होते है। गलत ट्रेनर के कारण योग भी वेबजह बदनाम होता है । सरकारों ने योग को मजाक बना रखा है । योग में डिग्री डिप्लोमा के नाम पर अपनी जेबें भरी जा रही है । लेकिन इस दिशा में किसी भी तरह की भर्ती प्रक्रिया आज तक शुरू नही की गई है ।


साथ ही ऐसे आदेशो से यह प्रमाणित होता है कि सरकारों के लिए योग केवल दिखावे की विषय वस्तु है ।


उक्त पत्र पर गौर कीजिए -:


कार्यालय कलेक्टर जिला उज्जैन मध्य प्रदेश की ओर से 26 सितंबर 2019 को पत्र क्रमांक/ एन एच एम/ 2019/ 21690 जारी किया गया ।


इसमें बताया गया है कि शासन के आरोग्यं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जन समुदाय को वैलनेस गतिविधियों के तहत योग, व्यायाम ,आहार, पोषण जीवनशैली आधारित व्यवहार परिवर्तन आदि के संबंध में अभ्यास कराए जाने हेतु निम्नांकित योग प्रशिक्षित आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी को योग सत्र आयोजित करने का दायित्व निम्नानुसार सौंपा जाता है । ऐसा आदेश संपूर्ण मध्यप्रदेश के लिए भोपाल से जारी किया गया है । उक्त आदेश में जो कि उज्जैन के लिए जारी किया गया है ऐसे 15 डॉक्टरों की नियुक्ति अलग-अलग विकास खंडों में की गई है । (जिनकी सूची खबर के साथ सलग्न है । )


जब उक्त सूची का अध्ययन किया तो पाया कि योग के लिए नियुक्त डॉक्टरों का दूर दूर तक योग से कोई लेना देना नही है । यह सभी तो आयुर्वेद के विषय विशेषज्ञ है । स्वयं इन डॉक्टरों ने भी इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है । अब आप सोचिये आम व्यक्ति को कैसे स्वास्थ्य के नाम पर गलत हाथों में धकेला जा रहा है । आम जनता के साथ खिलवाड़ का यह तरीका किसी के लिए जनलेवा भी साबित हो सकता है । आयुर्वेद के इन डॉक्टरों के साथ योग प्रशिक्षित योगाचार्यो को नियुक्त किया जा सकता था पर सरकार की मंशा यहां केवल खानापूर्ती करना मात्र प्रतीत हो रही है । ऐसे आदेशो से योग प्रशिक्षकों का भविष्य भी अंधकारमय दिखाई देता है ।