राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने जोर देकर कहा कि संघ को किसी से नफरत नहीं है। आरएसएस का उद्देश्य भारत में परिवर्तन करे लिए सभी समुदायों को संगठित करने का है, न सिर्फ हिंदू समुदाय को। संघ प्रमुख ने शनिवार को यहां बुद्धिजीवियों की एक सभा में कहा, सही तरीका यह है कि ऐसे उत्कृष्ट इंसान तैयार किए जाएं, जो समाज को बदलने के साथ ही देश की कायापलट में अहम भूमिका निभा सकें क्योंकि 130 करोड़ लोगों को एक साथ बदलना मुमकिन नहीं है। भागवत ने कहा कि समाज में बदलाव लाना जरूरी है ताकि देश का भाग्य बदले। इसके लिए ऐसे लोगों को तैयार करना होगा, जिनका चरित्र साफ सुथरा हो, जो प्रत्येक सड़क, गांव और शहर में नेतृत्व रखने की क्षमता रखें। यह हमारी इच्छा है कि आरएसएस और समाज एक सिंगल ग्रुप की तरह मिलकर काम करे। इसका श्रेय भी समाज को ही दिया जाए। हम कोई श्रेय नहीं लेना चाहते।
भारत की विविधता की तारीफ करते हुए भागवत ने कहा कि इसने देश को एक डोर में बांधा हुआ है। यहां के लोग विविध संस्कृति, भाषा और भौगोलिक स्थानों के बावजूद खुद को भारतीय मानते हैं। इस अद्वितीय अहसास के कारण मुस्लिम, पारसी या अन्य मजहबों में विश्वास रखने वाले लोग खुद को यहां सुरक्षित समझते हैं।
संघ प्रमुख शनिवार को नौ दिन के दौरे पर ओडिशा पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक, वह अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की पहली बैठक में शिरकत करेंगे। इस दौरान उनके साथ भैयाजी जोशी भी होंगे। उन्होंने बताया कि आरएसएस कार्यकारिणी समिति की बैठक एक निजी विश्वविद्यालय में 16 से 18 अक्तूबर तक होगी।
भारत की विविधता की तारीफ करते हुए भागवत ने कहा कि इसने देश को एक डोर में बांधा हुआ है। यहां के लोग विविध संस्कृति, भाषा और भौगोलिक स्थानों के बावजूद खुद को भारतीय मानते हैं। इस अद्वितीय अहसास के कारण मुस्लिम, पारसी या अन्य मजहबों में विश्वास रखने वाले लोग खुद को यहां सुरक्षित समझते हैं।
संघ प्रमुख शनिवार को नौ दिन के दौरे पर ओडिशा पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक, वह अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की पहली बैठक में शिरकत करेंगे। इस दौरान उनके साथ भैयाजी जोशी भी होंगे। उन्होंने बताया कि आरएसएस कार्यकारिणी समिति की बैठक एक निजी विश्वविद्यालय में 16 से 18 अक्तूबर तक होगी।