आगामी 17 नवंबर को पद से सेवानिवृत्त होने से पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई द्वारा कई अहम मामलों का निस्तारण करने की संभावना है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद संपत्ति विवाद, राफेल विमान घोटाले में शीर्ष अदालत के निर्णय के लिए दाखिल पुनर्विचार याचिका, सबरीमाला मंदिर जैसे चर्चित मामले लंबित हैं।हालांकि, इन सभी मसलों को निस्तारित करने के लिए चीफ जस्टिस को अपने 19 दिन के शेष कार्यकाल में अवकाश आदि औपचारिकताओं के चलते महज आठ दिन का ही समय मिलेगा। दरअसल शीर्ष अदालत में इस समय दीवाली का अवकाश चल रहा है, जो तीन नवंबर को खत्म होगा। सुप्रीम कोर्ट में चार नवंबर को दोबारा कामकाज शुरू होने के बाद 11 और 12 को फिर से सरकारी अवकाश हैं, जबकि बीच में शनिवार-रविवार के भी अवकाश रहेंगे।
इस तरह से देखा जाए तो 17 नवंबर को चीफ जस्टिस गोगोई के सेवानिवृत्ति समारोह से पहले उन्हें महज आठ कार्य दिवस ही लंबित मामलों के निस्तारण के लिए मिल रहे हैं। इन आठ कार्यदिवस में चीफ जस्टिस के सामने सबसे अहम चुनौती अयोध्या विवाद में सुरक्षित रखा गया फैसला सुनाने का है। इस राजनीतिक तौर पर बेहद संवेदनशील मुद्दे में 40 दिन की लगातार मैराथन सुनवाई के बाद 16 अक्तूबर को शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था।
इस मामले में 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से सुनाए गए उस फैसले के खिलाफ 14 अपील शीर्ष अदालत में दाखिल की गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच बराबर बांट दिया था। इस मुद्दे पर सभी पक्षों को संतुष्ट करने वाला फैसला सुनाने के लिए ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने उनकी सेवानिवृत्ति से एक महीना पहले सुनवाई पूरा हो जाने की घोषणा की थी।
अयोध्या समेत कई अहम फैसले देंगे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई आठ दिन में।